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यूपी 69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 27 नवंबर को

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UP 69000 Shikshak Bharti News: उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अब अगली सुनवाई 27 नवंबर को निर्धारित की गई है। यह मामला लंबे समय से न्यायालयों में लंबित है और अब तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं आ सका है।

यूपी 69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 27 नवंबर को

यूपी 69000 शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट का सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि पिछड़े वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण में जो गड़बड़ी हुई है, उस पर सरकार का रुख क्या है। अदालत ने यह भी पूछा कि ओबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण के प्रावधानों पर सरकार की स्थिति क्या है और उच्च न्यायालय के फैसले पर वह अपनी स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं कर पा रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की 69000 शिक्षक भर्ती से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामला सुनने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि नई मेरिट लिस्ट जारी की जाए, क्योंकि आरक्षण के नियमों का पालन ठीक से नहीं हुआ था। इसका असर लगभग 19000 शिक्षकों पर पड़ सकता था, जो पहले से चार साल से नौकरी कर रहे थे।

मामले की गंभीरता और कानूनी पहलू

इस मामले में दोनों पक्षों का दावा अलग-अलग है। एक पक्ष का कहना है कि रिजर्व कैटेगरी के शिक्षकों को जनरल कैटेगरी की तरह ट्रीट किया जाना चाहिए या नहीं। जनरल कैटेगरी के शिक्षकों का कहना था कि आरंभ में उन्हें आरक्षण का लाभ मिला था, फिर बाद में उनका वर्ग बदल देना गलत है, जिससे उनके हितों पर असर पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनी सवालों पर विचार करने का फैसला किया और आगामी सुनवाई की तारीख 23 सितंबर तय की थी। वकीलों की बड़ी संख्या को देखते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दिया है, ताकि कोर्ट को मामले को समझने में आसानी हो।

यूपी 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नया मोड़

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, 69000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में नया मोड़ आया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आने तक हाई कोर्ट का आदेश लागू नहीं होगा। यह फैसले से जुड़े हर पक्ष के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है।

यूपी 69000 शिक्षक भर्ती विवाद

इस मामले की शुरुआत 2017 - 2018 में हुई थी, जब उत्तर प्रदेश सरकार ने 69000 सहायक शिक्षक की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। हालांकि, भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण से संबंधित नियमों को लेकर विवाद पैदा हो गया, और इसके बाद मामला अदालत में पहुंच गया।

हाई कोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट की रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13 अगस्त 2024 को आदेश दिया था कि पुरानी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाई जाए। इसके बाद चयनित अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसके परिणामस्वरूप मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

अभ्यर्थियों की निराशा और उम्मीदें

अभ्यर्थियों की निराशा बढ़ी है क्योंकि इससे पहले कई तिथियों पर सुनवाई नहीं हो सकी थी। 23 सितंबर, 15 अक्टूबर और 12 नवंबर को भी सुनवाई की तिथियां निर्धारित की गई थीं, लेकिन इन तिथियों पर भी कोई सुनवाई नहीं हो सकी। अब 27 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय की गई है, और अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि इस दिन उन्हें न्याय मिलेगा।

अमरेंद्र पटेल, जो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा कि 23 सितंबर के बाद से लगातार सुनवाई की तिथियां बदल रही हैं, जिससे अभ्यर्थियों में निराशा है। वहीं, चयनित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है और इस सुनवाई में जल्द कोई निर्णय आएगा।

यूपी 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण का तड़का

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया है कि भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी के लिए निर्धारित 27% आरक्षण का गलत तरीके से लागू किया गया, और आवाज को दबाया गया है। इसके अलावा, एससी और एसटी वर्ग के लिए भी आरक्षण में कमी की बात कही गई है।

यूपी शिक्षक भर्ती मामला अब न केवल उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों के लिए बल्कि पूरे देश में सरकारी नौकरियों के आरक्षण नियमों पर एक महत्वपूर्ण कानूनी परिभाषा देने वाला बन चुका है। आगामी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई भी आदेश राज्य सरकार और अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे भविष्य में अन्य भर्ती प्रक्रियाओं पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

निर्णय की उम्मीद

अभ्यर्थियों का कहना है कि वे अब तक सरकार और न्यायालय से न्याय की उम्मीद रखते हैं, और सुप्रीम कोर्ट से जल्द निर्णय की आस लगाए बैठे हैं। यूपी 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के लिए यह एक अहम समय है, क्योंकि इस प्रक्रिया में पूरी तरह से आरक्षण नियमों का पालन होना आवश्यक है।

अब सभी की नजरें 27 नवंबर की सुनवाई पर टिकी हुई हैं, जब इस मामले का आगामी निर्णय आ सकता है।

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