महाराष्ट्र (सोलापुर) - शिक्षा की अहमियत वह व्यक्ति ही जान सकता है, जो खुद पढ़-लिख नहीं सका। ऐसा ही एक उदाहरण माढा तहसील के कुंभेज गाँव के किसान बापू बंसीलाल नागटिलक ने प्रस्तुत किया है, जिन्होंने गाँव के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी 2000 वर्ग फुट ज़मीन आँगनवाड़ी के लिए दान कर दी।
बापू नागटिलक स्वयं कभी स्कूल नहीं जा सके, लेकिन वे चाहते हैं कि गाँव का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। उन्होंने अपने खेत के एक हिस्से से अंगूर की बेलें उखाड़कर महिला एवं बाल विकास विभाग को आँगनवाड़ी खोलने के लिए दे दीं। अब गाँव के 25 बच्चे इस ज़मीन पर चल रही आँगनवाड़ी में पढ़ रहे हैं।
कुंभेज गाँव में लगभग 40 परिवार रहते हैं, लेकिन यहाँ आँगनवाड़ी की कोई सुविधा नहीं थी। बच्चों को पढ़ने के लिए डेढ़ किलोमीटर दूर दूसरे गाँव जाना पड़ता था। महिला एवं बाल विकास विभाग यहाँ आँगनवाड़ी खोलना चाहता था, लेकिन ज़मीन उपलब्ध नहीं थी। शिक्षा को प्राथमिकता देने और समाज के विकास में योगदान देने के लिए, नागटिलक आगे आए और बिना किसी माँग के अपनी ज़मीन विभाग को दे दी।
बापू बंसीलाल नागटिलक के बेटे प्राध्यापक हैं। उनके किसान पिता को इस बात पर गर्व है, लेकिन वे चाहते हैं कि गाँव के बच्चे भी पढ़ें, आगे बढ़ें और उच्च शिक्षा प्राप्त करें। बापू कहते हैं, "मैं भले ही अनपढ़ हूँ, लेकिन नई पीढ़ी को शिक्षित देखना चाहता हूँ। जब मैं अपने गाँव के बच्चों को पढ़ते हुए देखता हूँ, तो मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है।"
0 Comments:
Post a Comment