महाराष्ट्र के जालना ज़िले के बाभुलगाँव स्थित जिला परिषद स्कूल में जब से चेंजिंग रूम बना है, स्कूल में लड़कियों की उपस्थिति बढ़ी है। पहले जो लड़कियाँ पीरियड्स के दिनों में स्कूल नहीं आती थीं, अब वे उन दिनों में भी क्लास में आती हैं।
स्कूल की शिक्षिका स्वाति चित्ते ने लड़कियों की समस्या को समझा और स्कूल के एक कमरे को चेंजिंग रूम में बदल दिया। वहाँ सैनिटरी पैड, सफ़ाई का सामान रखा गया और पीरियड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाले पोस्टर भी लगाए गए। इस कमरे में गोपनीयता, सफ़ाई और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया।
इससे लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ा और अब वे बिना किसी हिचकिचाहट के स्कूल आती हैं। यह चेंजिंग रूम 2017 में शुरू किया गया था और इसके बाद माहौल बदल गया। शिक्षकों ने आस-पास के 11 और स्कूलों में भी ऐसी ही व्यवस्था शुरू की।
महाराष्ट्र सरकार ने भी इसे "जालना मॉडल" नाम दिया है और इसे राज्य भर के स्कूलों में लागू करने के लिए एक सर्कुलर जारी किया है।
शिक्षिका स्वाति चित्ते कहती हैं -
"मैंने देखा कि कई लड़कियाँ अचानक 4-5 दिनों से स्कूल नहीं आ रही थीं। जब मैंने पूछा, तो उन्होंने बताया कि उन्हें पीरियड्स के दौरान अपने कपड़े खराब होने का डर था और कोई व्यवस्था नहीं थी। इसलिए वे स्कूल नहीं आती थीं। फिर मैंने यह कदम उठाया।"
0 Comments:
Post a Comment