डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में सीयूईटी परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की प्रारंभिक काउंसिलिंग किए जाने के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने अचानक नान सीयूइटी प्रवेश प्रक्रिया घोषित कर दी है। इस आदेश से सीयूईटी परीक्षा देने दूसरे शहरों में जाने वाले विद्यार्थी निराश हैं। जबकि शेष सीटों पर बिना परीक्षा दिए ही विद्यार्थी सीधे प्रवेश ले सकेंगे।
वहीं विश्वविद्यालय के कुछ छात्र संगठनों ने सीयूईटी प्रक्रिया से प्रवेश किए जाने का विरोध भी किया है। जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय की पीजी कक्षाओं में प्रवेश के लिए कुछ सालों से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सीयूईटी परीक्षा अनिवार्य कर दी गई है। यह परीक्षा देने के लिए सागर में रहने वाले कई विद्यार्थियों को आसपास के दूसरे जिलों में सैंकड़ों किलो मीटर की दूरी तय करके परीक्षा देने जाना होता है। जिसमें विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
यह परीक्षा में पास होने वाले विद्यार्थी काउंसिलिंग में शामिल होकर प्रवेश लेते हैं, लेकिन पिछले साल भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा प्रारंभिक काउंसिलिंग के बाद सीधे प्रवेश की प्रक्रिया घोषित कर दी जाती है। इस वजह से वह छात्र निराश होते हैं जो समय और पैसे बर्बाद कर सीयूईटी परीक्षा देने दूसरे शहरों में जाते हैं।
परीक्षा देने दूसरे शहरों में जाते हैं:
विद्यार्थी फोरम के विवि इकाई अध्यक्ष हिमांशु तिवारी ने कहा कि सीयूईटी परीक्षा के बदले विवि स्वयं प्रवेश परीक्षा कराएं या मेरिट पर प्रवेश दें। क्योंकि यह परीक्षा यहां की परिस्थितियों के अनुकूल नहीं है।
जिलाध्यक्ष जानवेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए परीक्षा देने दूर के प्रदेशों में जाना पड़ता है। जिसकी जानकारी भी समय रहते नहीं प्रदान की जाती है। आधी प्रक्रिया में नियम बदलने का सीधा प्रभाव यहां के स्थानीय बच्चों पर पड़ता है। पीजी में पूरी सीटें ही नहीं भरी तो प्रतिष्ठा वाली बात हैं।
छात्रावास में भी दूरी के हिसाब से मिलता है प्रवेशः
छात्र नेताओं का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया का असर छात्रावास में प्रवेश के दौरान भी नजर आता है।सीयूईटी परीक्षा के कारण केरल, ओडिशा सहित अन्य कई प्रदेशों के विद्यार्थी प्रवेश ले लेते हैं और छात्रावास में दूरी के हिसाब से ही प्रवेश देने का नियम है।
इस बीच आर्थिक रूप से संपन्न विद्यार्थी तो प्रवेश ले लेते हैं। लेकिन जिले के ग्रामीण इलाकों के गरीब व मध्यम वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिल पाता है। ऐसे में यहां के विद्यार्थियों को किराए का कमरा लेकर विश्वविद्यालय में पढ़ाई करना पड़ती है।
बंद की जाए सीयूईटी की परीक्षा, स्थानीय विद्यार्थियों को प्रवेश का मिलेगा मौका
सीयूईटी परीक्षा का विश्वविद्यालय के छात्र संगठन विरोध कर रहे हैं। गौर यूथ फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेक तिवारी का कहना है कि हमारा फोरम शुरू से ही सीयूईटी परीक्षा का विरोध करता आ रहा है।
सीयूईटी परीक्षा में देश के कई शहरों के विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हो जाते हैं। जिससे स्थानीय विद्यार्थियों को मौका नहीं मिल पाता है। यदि यह परीक्षा बंद कर पूर्व की तरह प्रवेश परीक्षा की जाएगी तो स्थानीय विद्यार्थियों को एक बार फिर विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने का मौका मिलेगा। यदि सीटें रिक्त रहती हैं तो विश्वविद्यालय प्रशासन उसके लिए दूसरे प्रदेशों के विद्यार्थियों को भी आमंत्रित कर सकते हैं।
डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अधिकारी, डॉ. विवेक जायसवाल का कहना है कि पीजी में चौथी काउंसिलिंग में वो लोग भी रजिस्टर्ड कर सकते हैं जिन्होंने सीयूईटी परीक्षा नहीं दी है। विश्वविद्यालय में कुछ सीटें बची हैं कारण सीयूईटी परीक्षा न देने वालों के भी प्रवेश के लिए आवेदन बुलाए हैं। यह दूसरे विश्वविद्यालय भी करते हैं।
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