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मेरठ में अधिवक्ताओं का बड़ा प्रदर्शन, वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग तेज

मेरठ में अधिवक्ताओं का बड़ा प्रदर्शन, वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग तेज

वेस्ट यूपी (मेरठ)। पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर शनिवार को वकीलों का आंदोलन फिर एकबार सड़कों पर उतर आया। मेरठ कचहरी से बेगमपुल तक अधिवक्ताओं ने पैदल मार्च निकाला और हजारों की संख्या में एकजुट होकर मानव श्रृंखला बनाई। इस आंदोलन को न सिर्फ अधिवक्ताओं का, बल्कि राजनीतिक दलों, व्यापारियों, किसानों और आम जनता का भी समर्थन मिला।

22 जिलों में एक साथ आंदोलन

केंद्रीय संघर्ष समिति के बैनर तले वेस्ट यूपी के सभी 22 जिलों में एक साथ न्यायिक कार्य ठप कर आंदोलन किया गया। जगह-जगह धरना प्रदर्शन हुए और मानव श्रृंखलाएं बनाई गईं। मेरठ में अधिवक्ता सुबह कचहरी से पैदल मार्च करते हुए बेगमपुल पहुंचे, जहां दो घंटे तक विरोध प्रदर्शन चला। इस दौरान कचहरी परिसर की सभी दुकानें बंद रहीं।

राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का समर्थन

संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट बेंच की मांग को जन आंदोलन बनाने के लिए सभी वर्गों को साथ लिया है। भाजपा समेत कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों ने इस आंदोलन को खुला समर्थन दिया है। शुक्रवार को मेरठ महानगर कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधिमंडल ने बार एसोसिएशन को समर्थन पत्र सौंपकर आंदोलन में शामिल होने का ऐलान किया। वहीं व्यापार संघ, किसान संगठनों और सामाजिक संगठनों ने भी मार्च और प्रदर्शन में भागीदारी सुनिश्चित करने का वादा किया।

वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग 50 साल से लंबित

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग पिछले 50 साल से उठ रही है। लाखों मामले लंबित हैं और आम जनता को न्याय पाने के लिए प्रयागराज भटकना पड़ता है। उनका आरोप है कि अब तक बनी किसी भी सरकार ने इस मांग को गलत नहीं ठहराया, बावजूद इसके ठोस कदम नहीं उठाए गए। समिति ने दावा किया कि प्रयागराज के कुछ अधिवक्ताओं को छोड़कर प्रदेश के बाकी हिस्सों से इस मांग का विरोध नहीं है। बल्कि बनारस और गोरखपुर जैसे जिलों में भी बेंच की मांग उठ रही है।

प्रधानमंत्री से मिलने की तैयारी

संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि अगर 30 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरठ मेट्रो का उद्घाटन करने आते हैं, तो उनसे मुलाकात का समय मांगा जाएगा। समिति प्रधानमंत्री के सामने हाईकोर्ट बेंच की मांग रखेगी। समिति पदाधिकारियों ने उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर में मात्र 4 जिलों की डेढ़ करोड़ आबादी के लिए हाईकोर्ट बेंच स्थापित की गई है, जबकि पश्चिम यूपी के 22 जिलों में करोड़ों की आबादी को अब तक न्याय से वंचित रखा गया है।

अधिवक्ताओं के बयान

मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना होगा कि आखिर इतने सालों से हाईकोर्ट बेंच क्यों नहीं दी जा रही। अगर जल्द फैसला नहीं हुआ तो पूर्ण रूप से न्यायिक कार्य बाधित किया जाएगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता गजेंद्र सिंह धामा ने कहा कि यह अब सिर्फ मांग नहीं, बल्कि आवश्यकता है। अपनी पूरी 52 साल की वकालत मैंने बेंच की प्रतीक्षा में गुजार दी। अब जनता को भी इस आंदोलन से जुड़ना होगा।

अधिवक्ता आनंद कश्यप का कहना था कि यह पश्चिम और पूरब का मुद्दा नहीं है, बल्कि आम जनता की जरूरत है। प्रयागराज जाना आम नागरिक के लिए बेहद कठिन है।

वहीं, अधिवक्ता विमल तोमर ने कहा कि अब आंदोलन को जनता से जोड़ना होगा। घर-घर जाकर लोगों से अपील की जाएगी और यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन को दिल्ली ले जाया जाएगा।

जनजागरण का स्वरूप लेता आंदोलन

मेरठ में हुए इस प्रदर्शन ने एक बार फिर हाईकोर्ट बेंच की मांग को जोरदार तरीके से सामने रखा है। पैदल मार्च और मानव श्रृंखला ने इसे जनजागरण का रूप दिया है। संघर्ष समिति का दावा है कि इस बार आंदोलन सिर्फ अधिवक्ताओं का नहीं रहेगा, बल्कि आमजन की आवाज बनकर सरकार तक पहुंचेगा।

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