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विकास प्रबंधन - सामाजिक बदलाव की दिशा में भारतीय युवा के लिए उभरता करियर विकल्प

विकास प्रबंधन - सामाजिक बदलाव की दिशा में भारतीय युवा के लिए उभरता करियर विकल्प

पिछले हफ्ते दिल्ली-एनसीआर में इंडियन स्कूल ऑफ डेवलपमेंट मैनेजमेंट (ISDM) ने एक इवेंट रखा, जिसमें ये बात की गई कि "विकसित भारत" बनाने में डेवलपमेंट मैनेजमेंट यानी विकास प्रबंधन की क्या भूमिका हो सकती है।

ISDM के फाउंडर आशीष धवन और चेयरमैन रवि श्रीधरन ने Financial Express से बात करते हुए कहा कि जैसे बिज़नेस मैनेजमेंट और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ने प्राइवेट और सरकारी सेक्टर को बदला है, वैसे ही अब ज़रूरत है कि सोशल सेक्टर यानी सामाजिक क्षेत्र के लिए भी खासतौर पर डेवलपमेंट मैनेजमेंट को बढ़ावा दिया जाए। उनका मानना है कि युवा इसे एमबीए की तरह ही एक करियर ऑप्शन की तरह देखें।

तो विकास प्रबंधन होता क्या है?

असल में ये उन संगठनों के लिए है जो समाज की भलाई के लिए काम करते हैं — जैसे कि NGO या नॉन-प्रॉफिट संस्थाएं। ये लोग समाज की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन काम करने का तरीका प्रोफेशनल और मैनेजमेंट जैसा होता है।

एक NGO को चलाना किसी कंपनी को चलाने से काफ़ी अलग होता है। इसलिए इस कोर्स में वो स्किल्स सिखाई जाती हैं जो खास तौर पर समाज से जुड़े कामों में काम आती हैं।

विकास प्रबंधन कहाँ पढ़ा जा सकता है?

  • ISDM में 11 महीने का पोस्ट-ग्रैजुएट प्रोग्राम (PGP-DM) है।
  • SP Jain Institute में भी 12 महीने का डेवलपमेंट मैनेजमेंट कोर्स चलता है।
  • IIHMR University में दो साल का MBA (Development Management) प्रोग्राम है।
  • कुछ और यूनिवर्सिटीज़ में भी ऐसे कोर्स मिल जाते हैं।

क्या ये एक फुल टाइम करियर बन सकता है?

बिलकुल बन सकता है।

आशीष धवन (जो खुद MBA करने के बाद इस क्षेत्र में आए) कहते हैं कि भारत को ऐसे हज़ारों लोगों की ज़रूरत है जो सामाजिक मुद्दों को सुलझा सकें। यहां तरह-तरह की नौकरियों के मौके हैं।

उनका कहना है कि इस फील्ड में वही लोग आते हैं जो समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं या जिन्हें लगता है कि अगर उनके पास संसाधन हैं तो समाज की मदद करना उनकी ज़िम्मेदारी है।

ISDM के को-फाउंडर रवि श्रीधरन का भी कहना है कि जो स्टूडेंट्स MBA के बजाय डेवलपमेंट मैनेजमेंट चुनते हैं, वो आमतौर पर पैसे से ज़्यादा, बदलाव लाने में दिलचस्पी रखते हैं। उनके लिए काम सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक मिशन होता है।

पैकेज कितना मिलता है?

श्रीधरन बताते हैं कि अब इस क्षेत्र में सैलरी भी अच्छी मिल रही है।

ISDM से ग्रेजुएट होने वाले स्टूडेंट्स को सालाना ₹7–8 लाख की शुरुआती सैलरी मिल रही है, और कुछ केस में तो ₹15 लाख तक भी।

NGO और सोशल इंटरप्राइजेस (जो हेल्थ, एजुकेशन, पर्यावरण, गरीबी जैसे मुद्दों पर काम करते हैं) अब ऐसे टैलेंटेड प्रोफेशनल्स को मार्केट रेट के हिसाब से पैसे दे रहे हैं।

तो फिर MBA ही क्यों न करें?

ज़रूरी नहीं कि MBA ही हर किसी के लिए सही हो। डेवलपमेंट मैनेजमेंट में भी करियर के कई बेहतरीन मौके हैं। जैसे:

सोशल सेक्टर में कई तरह की नौकरियां हैं — फंडरेज़िंग, डिजिटल मार्केटिंग, मैनेजमेंट, लॉ, रिसर्च, कंटेंट क्रिएशन वगैरह।

आज के समय में लोग ऐसे काम चाहते हैं जो सार्थक हों और जहां काम के साथ लाइफ बैलेंस भी बना रहे।

इस क्षेत्र में हर बैकग्राउंड का व्यक्ति आ सकता है — इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, आर्टिस्ट, अकाउंटेंट — सभी के लिए मौके हैं।

इस सेक्टर में स्किल्ड प्रोफेशनल्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है, जबकि कई बार कॉर्पोरेट सेक्टर में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।

विकास प्रबंधन अभी भले ही पारंपरिक करियर ऑप्शन न हो, लेकिन अगर आप समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं और काम से संतुष्टि पाना चाहते हैं, तो ये आपके लिए एक सार्थक और प्रोफेशनल करियर हो सकता है।

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