"2026 में हायर एजुकेशनः भारत में ही मिलेंगे कहीं ज्यादा विकल्प"
हायर एजुकेशन 2026: भारत में हायर एजुकेशन का भविष्य अब और भी ज्यादा चमकदार होता दिख रहा है। अमेरिका में H-1B वीजा से जुड़ी नई शर्तों के कारण वहां पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में बेशक कमी होगी, लेकिन इसका असर भारत में छात्रों के अवसरों पर बिल्कुल भी नकारात्मक नहीं होगा। दरअसल, भारत समेत कई देशों में हायर एजुकेशन के लिए ढेरों नए विकल्प खुल रहे हैं।
QS रैंकिंग में भारतीय संस्थानों की बढ़ती मौजूदगी
विशेषज्ञों के अनुसार, QS रैंकिंग में पहले ही 54 भारतीय संस्थान अपनी जगह बना चुके हैं। यह उपलब्धि इस बात का सबूत है कि भारतीय यूनिवर्सिटीज लगातार वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर रही हैं। इसके अलावा इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों की यूनिवर्सिटीज भी QS रैंकिंग में ऊँचे पायदान पर हैं, जिससे भारतीय छात्रों को विदेश में पढ़ाई करने के लिए भी अच्छे विकल्प मिल रहे हैं।
भारत में विदेशी यूनिवर्सिटीज के कैंपस
सबसे बड़ी खबर यह है कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की टॉप यूनिवर्सिटीज भारत में अपने कैंपस खोल रही हैं। 2026 तक लगभग 16 विदेशी यूनिवर्सिटीज के कैंपस भारत में शुरू हो जाएंगे। इसका मतलब यह है कि छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पढ़ाई का अनुभव भारत में ही मिलेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से खुले नए अवसर
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIM) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में भी कई बड़े बदलाव हो रहे हैं।
IIM में अब केवल एमबीए ही नहीं बल्कि ग्रैजुएशन और ड्यूल डिग्री प्रोग्राम भी शुरू किए गए हैं।
IITs में बीटेक के अलावा मैनेजमेंट, ह्यूमैनिटीज और सोशल साइंसेज जैसे नए कोर्सेज आ रहे हैं।
हर साल IITs और IIMs में सीटों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है ताकि ज्यादा छात्रों को अवसर मिल सके।
करियर काउंसलर्स की राय
करियर काउंसलर आलोक बंसल का कहना है कि अमेरिका में पढ़ाई की योजना बनाने वाले छात्र और उनके पैरेंट्स भले ही कन्फ्यूजन में हों, लेकिन उन्हें भारत में मिल रहे नए विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए। भारत की यूनिवर्सिटीज अब विदेशी संस्थानों के साथ सहयोग कर रही हैं, जिससे छात्रों को ग्लोबल एक्सपोजर मिलेगा।
छात्रों के पास विकल्पों की कोई कमी नहीं
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के पूर्व प्रिंसिपल एस. के. गर्ग का मानना है कि IIM और IIT में ग्रैजुएशन लेवल के कोर्स शुरू करना एक ऐतिहासिक कदम है। आने वाले समय में भारत में सीटों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ कोर्सेज की विविधता भी छात्रों को और ज्यादा मौके देगी। वहीं, जो छात्र विदेश में ही पढ़ाई करना चाहते हैं, उनके लिए QS रैंकिंग में शामिल यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर की यूनिवर्सिटीज बेहतरीन विकल्प हो सकती हैं।
निष्कर्ष
साल 2026 तक भारत में हायर एजुकेशन के विकल्प पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और विविध हो जाएंगे। छात्रों को न केवल भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज में बल्कि विदेशों में भी पढ़ाई के नए अवसर मिलेंगे। जहां अमेरिका h1b वीजा के नियम सख्त कर रहा है, वहीं भारत का शिक्षा क्षेत्र लगातार ग्लोबल लेवल पर पकड़ बनाने को व्याकुल है।
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